Sunday, November 29, 2009

आज कुछ लिखने का मन नहीं

दोस्तों,

बहुत लिखा पर लगा कि हकीकत उस दौर की नहीं !
सच मैं इसलिए आज कुछ भी लिखने का मन नहीं !!

आरज़ू , फ़साने या फिर हों उनके किए गए चंद वादे !
नहीं कुछ भी निभाया ,आज कुछ लिखने का मन नहीं !!

कुछ उनके और कुछ अपने हालत ठीक नहीं हैं अब तो !
इनायत से नाराज हैं ,आज कुछ लिखने का मन नहीं !!

शायद होगी बहुत देर जब फिर से कलम उठे हमारी !
आज मगर हालात ऐसे की कुछ लिखने का मन नहीं !!

Thursday, November 12, 2009

पढने की आदत तो डालनी होगी !!!!

क्या किसने लिखा उसकी होंस्लाफ्जाई जरूरी है!
हिना अपना वजूद खोती है जानना ये जरूरी है!!

Wednesday, November 11, 2009

शिद्दत के साथ जुदा हुए, लेकिन क्या सचमुच हुए : ग़ज़ल

इतने शिद्दत के साथ जुदा हुए, लेकिन क्या सचमुच लोग जुदा हुए !
दबे - पाँव वक़्त ने जब अलग किया तो अब कदम क्यों रुक गए !!

आदमी वो ही वक़्त के गुलाम होते हैं , जिन्हें मुफलिसी नहीं आती !
वरना , जलते पत्थरों के गुजरने के बाद रास्ते क्यों घास के हो गए !!

मंज़र हमेशा मन-माफिक रहेँ, ये तो जीने कि कोई शर्त नहीं होती !
परवादिगार से गुजारिश -जिसके हों एकबार ,ता -उम्र उसके हो गए !!

तकाज़ा करने सफर का जरूर ही कोई आखिरी वक़्त आएगा अजय !
हिसाब तुझे ही अपना देना है ये जान ,दूसरों ने जो काम किए न किए!!

Tuesday, November 10, 2009

क्या अच्छा - क्या सच्चा है !

जी करता है लौट चलूँ अब वापस , जहाँ से आया था !
समझ नहीं आया कि क्या अच्छा और क्या सच्चा है !!

दुनिया भर के सारे पाप किए और किया नशा हर मैंने !
फिर भी सीधे लगने वालों से मन अब भी मेरा कच्चा है !!

दुनियावी लोगों से उकता कर भी कुछ करना था जीने को !
दुश्मन के घावों को सहलाने मैं मन मेरा अब भी बच्चा है !!

मुश्किल है अजय कि क्या करें और क्या न करें ,फिर भी !
जीने का अंदाज हमारा औरों से क्या अच्छा- क्या सच्चा है !!