Saturday, October 31, 2009

मशीन से मोथरी भावनाएं -एक विचार

द्रश्य -!
एअरपोर्ट , सारे लोग इतने जल्दी में हैं की उनको पता नहीं कि उनकी पूरी प्रोग्राममिंग एक सिपाही के पास है जो उन्हें २-३ घंटे मामूली रोक सकता है , आप अगर गैर -सरकारी हैं तो खींसे निपोरते हुए, इधर -उधर देखते , उसकी खुशामत भी करते हुए , बीबी bachon से ऑंखें चुराते हुए दस बार थैंक्स कहना पड़ता है -----जबकि घर से निकलते समय आपने बाप के पैर इस धौंस में नही छुए कि समझते नहीं एक-एक मिनट important है ।

द्रश्य-!!
lounge में इतने सीरियस कि लगता है parmaroon बोम्ब टेक्नोलॉजी ले कर बैठे हैं । खुले मन से नहीं बल्कि चोर निगाहों से इधर-उधर ताकते हैं -वाह रि शख्सियत । ये पता चलते ही कि आसपास किसीको आप कि
जरूरत है ,अखबार में इतने मशगूल हो जाते हैं जैसे डीएनए पर रिसर्च कर रहे हों ।

Wednesday, October 28, 2009

कोई जादू नहीं जिन्दगी

दोस्त कोई जादू नहीं जिन्दगी का सफर !
आप ही आप हैं सिर्फ़ इसके हमसफ़र !!

बड़ी कोशिश से खुदा ने आप को ही चुना !
आप न चुनते तो न होती कभी भी सहर !!

हर आदमी के भीतर है उसका ही नूर !
नहीं पहचानता कभी आसानी से मगर !!

अजय क्या बात है कि चलता है सफर !
सरलता मैं ही इसकी है सच्ची सी डगर !!

Monday, October 26, 2009

एक विचार -सभी समस्याओं का नुस्खा

परेशानिया न हों तो आप ईश्वर से प्रार्थना करेंगे की पूरी की पूरी जिन्दगी एक-आद् साल मैं निपट जाए। वे आपको लम्बी उम्र देती हैं । स्वागत करिए क्योंकि :

दर्द, हिना नहीं जो सिलबट्टे पर रगड़ के रंग देता है !
तासीर इसकी ऐसे है कि हर हाल पूरा मज़ा देता है !!

आप चाहेंगे तो पूरी ग़ज़ल अगली बार .....

Thursday, October 22, 2009

जरूर पड़ें : निश्चित ही काम आयेगा :एक विचार

जीवन में कुछ भी गुअरंटी वाला रिटर्न नहीं है , आप के कार्य आपका प्रारब्ध रचते हैं ।
अच्छे -ख़राब कार्यों का हिसाब - किताब अलग -२ है । यह अकाउंट डेबिट -क्रेडिट नहीं । मतलब कि आप एक ही बार में स्वर्ग - नरक का अनुभव कर सकते हैं ।

Tuesday, October 13, 2009

एक नज़्म :शिद्दत वालों के लिए

ये लोग फिर किसी बहाने तेरे सपनों मैं आयेंगे !

खुशनसीब है तू वे बे-वजह तुझे बुलाने आयेंगे !!

जब थी तम्मना तो कभी दूर-दूर तलक न मिले !

अब ये गुजारिश कि सहेजे को मिटानें आयेंगे !!

कोई और अपना सफ़र तय कर ले तू बुलाने वाले !

थकन इतनी है कि अब न,न चाहते हुये आ पायेंगे !!

बड़ी मुश्किल है अजय यों ज़माने की खबर रखना !

कई जन्मों के पुराने बे निभाए फ़साने नज़र आयेंगे !!

Sunday, October 11, 2009

एक विचार -सीधा ,सादा ,सरल ,सच्चा :अंतिम सत्य वर्थ रीड

कभी-कभी अंतिम यात्रा, वात्सल्य से जीवन के अंतिम सेतु तक जाती है : कभी किशोरावस्था से अंत की ओर कभी युवावस्था और कभी vradhavasta से , किन्तु लक्ष्य स्थिर है , और वो है :--जीवन के उस उद्देश्य को पहचानना जो हमें चिरंजीवी बनता है । आप कितना सफल हुए इसका सिर्फ एक ही पैमाना है की आपकी म्रत्यु के बाद कोई आपका शोक न करे बल्कि यह सोचे की आप तरोताजा हो कर आयें और फिर भटकों को रास्ता दिखाएँ.