Saturday, August 14, 2010

पन्द्रह अगस्त दो हज़ार दस!



आज़ादी मिल गई हमको,
चलो सडको पे थूकें!

आज़ादी मिल गई हमको,
चलो ट्रैनों को फ़ूकें!

आज़ादी मिल गई हमको,
चलो लोगों को कुचलें!

आज़ादी मिल गई हमको,
चलो पत्थर उछालें!

आज़ादी मिल गई हमको,
चलो घर को जला लें!

आज़ादी मिल गई हमको,
चलो घोटले कर लें!

आज़ादी मिल गई हमको,
तिज़ोरी नोटों से भर लें!

आज़ादी मिल गई हमको,
चलो पेडों को काटें!

आज़ादी मिल गई हमको,
चलो भूखों को डांटें!


आज़ादी मिल गई हमको,
चलो सूबों को बांटें!

गर भर गया दिल जश्न से तो चलो,
इतना कर लो,
शहीदों की याद में सजदा कर लो!

न कभी वो करना जो,
आज़ादी को शर्मसार करे,
खुद का सर झुके और
शहीदों की कुर्बानी को बेकार करे!

Thursday, August 12, 2010

ग़ज़ल : प्रतिबन्ध लगाना चाहिए

ग़ज़ल
जो लोग हैं पानी में पहले से ही भीगे हुए,
उन्हें मौसमी बरसात से नहीं डरना चाहिए !
अगर हम हो जाएँ बिलकुल ही मुफ्त तो ,
तो आपको क्यों खरीदा जाना चाहिए !
जो ज्यादाद कर दी गयी ज़माने के नाम ,
उस पर क्यों कर आयकर लगाना चाहिए !
संस्थाएं जो हुक्मरानों का भरम रखेंगी ,
उन पर कड़ा प्रतिबन्ध लगाना चाहिए !

Monday, August 2, 2010

मोबाइल का सच

जब हम मोबाइल पे
बात करते हैं तो हँसते- खिलखिलाते हैं ,
पर जब -
होते हैं आमने सामने तो
सिर्फ हेलो कह कर गुजर जाते हैं !
अजीब जमाना है .......

पिता ने फ़ोन किया कि तबियत ठीक नहीं
अलग शहर में रह रहे लड़के ने पूंछा-
अरे क्या हुआ पापा !
ध्यान रखा कीजिये
मैं तुरंत पंहुच जाऊंगा
बस मुझे बता भर देना ।
असहाय और बीमार बाप ने
मन ही मन सोचा -
और कैसे बताऊंगा !
अजीब ज़माना है ..........

मोबाइल पर पति /पत्नी ने कहा
मैं आप को मिस कर रही /रहा हूँ
शाम जब दोनों मिले
तो अलग-अलग करवट सो गए ,
दिन के हवाई प्यार के वादे -
हवा हो गए !
अजीब ज़माना है ............

दोस्त ने दोस्त को कहा -
चिंता मत कर मैं तो हूँ
कोई भी जरूरत हो तो बता देना
दोस्त ने कहा -
शायद कुछ समय में रुपयों कि जरूरत हो
दोस्त ने कहा -चिंता नहीं
फिर जब दोस्त ने मोबाइल किया
तो उसे अजीब सा खौफ था ,
क्यूंकि दोस्त का मोबाइल ऑफ़ था !
अजीब ज़माना है.........

तो दोस्तों -क्या जरूरत है दोगले बनने की
जिन्दगी बिना झूंठ के भी चल सकती है
मोबाइल बिना भी सरक सकती है
कृपया दो तरह के सम्बन्ध न बनायें -
एक मोबाइल वाला /एक असली ,
वर्ना मानवीयता की टूट जाएगी
हड्डी -पसली !
अजीब ज़माना है .................