Sunday, February 28, 2010

होली पर आइये करें कुछ ऐसे उपाय-------एक गीत अपने पाठकों के नाम ....



होली पर आइये करें कुछ ऐसे उपाय..........

होली पर आइये करें-
कुछ ऐसे उपाय!
कि बन जाएँ हम कान्हा की ,
बांसुरी के पर्याय !!
एक-दम सहज /अनबूझे /
खुद को खोजें ,फिर खुदा को
और फिर खुद मैं खुदा को
दीन-दुखियों के बन जाएँ सहाय
कि बन जाएँ हम कान्हा की ,
बांसुरी के पर्याय !!

पिघल जाएँ /झुक जाएँ
नंदी से मदमस्त बन जाएँ
शांत हो मन हमारा
साथ बिताये हर पल में
सदियों का हो सहारा
क्यों करें हमेशा ही हाय-हाय

कि बन जाएँ हम कान्हा की ,
बांसुरी के पर्याय !!

कूंची की माफिक
सीखें -
सहेजने/फैलाने की कला
सो जहाँ हो जरूरी रंगों का विस्तार वहां कर जाओ
फ़िज़ूल और बर्बादी को सहेजो
जरूरत मंदों में उसे बाँट जाओ
विष पीकर बोलो नमो शिवाय

कि बन जाएँ हम कान्हा की ,
बांसुरी के पर्याय !!







Wednesday, February 24, 2010

हौले -हौले गुजरती है जिन्दगी-ग़ज़ल हम सब की कहानी

हौले -हौले गुजरती है
जिंदगी !
सब-कुछ एक साथ पाने की दौड़ पड़ी बहुत महँगी ,
अब पहचाना मैंने हौले -हौले गुजरती है जिन्दगी!
पहले रस्ते चाहें मकाँ को जाते हों या हों जाते दिल में,
बड़ी सीधी-सादी थी इबादतगाह मैं बन्दिगी !!
सर जिसके भी सामने झुका हो ,सर पे उसका हाथ था ,
अब किसका कौन कब काट ले सर ऐसी नुमाएंदगी !!
बड़ा मुश्किल है वक्त अजय दिल वालों की ख़ातिर ,
बिक गयी बड़े सस्ते में मेरी शख्शियत - ऐ -बुलंदगी !!