यद्द्छालाभाम्संतुश्तो द्वन्द्वातीतो विमत्सर : सम: सिद्दावसिद्धो च कृत्वापि न निबध्यते :
Sunday, February 20, 2011
Saturday, February 19, 2011
ग़ज़ल : हमारा नाम भी आया होगा !!
रास्ता मेरे घर का लुटेरों को उन्होंने ही बताया होगा
जिन्हें हमने कभी घर प्रेम से खाने पे बुलाया होगा!
रास्ता सर्द था और रहबर ने पासा फेंका ही आखिर
फिर भी पार हमें किसी रहजन ने कराया ही होगा !
इसमें ज्यादा तफ्तीश की जरूरत ही नहीं है अजय
भगवन का स्वर्ण !मुकुट पुजारी ने चुराया ही होगा!
यूँ तो भुला न दिया होगा उसके पहले प्यार ने मुझे
कभी तो दबी जुबान पर हमारा नाम आया ही होगा !
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