Tuesday, February 26, 2013

gazal......


   ग़ज़ल 
फूलबाड़ी से चुनकर तो कई लोग फूल गुलदस्तों  मैं सजाते  हैं ,
ये हमारा निहायत अपना फन है हम फैंके हुओं से ढूँढ लाते  हैं I 
किताबें तमाम पढ़ कर तो  लोग अक्सर  अक्लमंद हो जाते हैं ,
हम रददी अख़बारों की कतरनों से फलसफा ए जिंदगी  बताते  हैंI 
हमारे हुनर पर न जाओ मुझसे खामखाँ, ओ   होड़ लगाने वालों ,
जीतने का इल्म-ए -हुनर रखते हैं और जीती  बाजीयां हार जाते हैंI 
हमसे तकरार न करो तो ही अच्छा है हम सबके लिए ओ! रकीब ,
 छोडने पे आ जाएँ तो दौलत क्या हुस्न क्या जमाना छोड़ जाते हैं I 

-डॉ अजय गुप्त