ग़ज़ल
काली करतूतें "उनकी" भविष्य में कोई भी तंत्र न पकड़ सके ,
मौजूदा व्यवस्था ने "उनको" पदम् पुरुस्कार प्रदान कर दिया !
लाखों मुकदमों की बेचारिगी से सरावोर न्यायाधीश के सामने ,
कुछ काले कोट वालों ने असली दुराचार को अप्रमाण कर दिया!
मूर्तियाँ लगाई जा रही हैं अजय आज के भूख-ज़दा माहौल में ,
कितनी सफाई से जिन्दा-आदमी को निर्विकार जान कर दिया!
मुफलिसी खुदा की नियामत है, फटे-हाल रहना एक इबादत है ,
इन फलसफों ने इंसानियत को तार-तार कर विज्ञान कर दिया !
3 comments:
बात में दम है, पर शब्दों के चयन में,सावधानी न होने से रचना के रस व लय में कमी आती प्रतीत होती है।शायद विचार को थोडा और ’मन मथते’ तो ज्यादा सुन्दर शब्दांकन होता। सुन्दर प्रयास के लिये बधाई।
एक अच्छी अभिव्यक्ति !!!!
sujhav ke liye dhanyvaad.ras paida karne ki koshis jaari hai, fatehal desh main kavya main ras koi samvedansheel vyakti kaise paida karen
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