Monday, May 3, 2010

पदम् पुरुस्कार

ग़ज़ल

काली करतूतें "उनकी" भविष्य में कोई भी तंत्र न पकड़ सके ,
मौजूदा व्यवस्था ने "उनको" पदम् पुरुस्कार प्रदान कर दिया !

लाखों मुकदमों की बेचारिगी से सरावोर न्यायाधीश के सामने ,
कुछ काले कोट वालों ने असली दुराचार को अप्रमाण कर दिया!

मूर्तियाँ लगाई जा रही हैं अजय आज के भूख-ज़दा माहौल में ,
कितनी सफाई से जिन्दा-आदमी को निर्विकार जान कर दिया!

मुफलिसी खुदा की नियामत है, फटे-हाल रहना एक इबादत है ,
इन फलसफों ने इंसानियत को तार-तार कर विज्ञान कर दिया !

3 comments:

ktheLeo (कुश शर्मा) said...

बात में दम है, पर शब्दों के चयन में,सावधानी न होने से रचना के रस व लय में कमी आती प्रतीत होती है।शायद विचार को थोडा और ’मन मथते’ तो ज्यादा सुन्दर शब्दांकन होता। सुन्दर प्रयास के लिये बधाई।

Unknown said...

एक अच्छी अभिव्यक्ति !!!!

Dr Ajay k Gupta said...

sujhav ke liye dhanyvaad.ras paida karne ki koshis jaari hai, fatehal desh main kavya main ras koi samvedansheel vyakti kaise paida karen