गजल
लिखो ऐसा जो हो सबके काम का औ कल आज कल का हो ,
यकीन मानिये, ये मेरी और आपकी नियति को तय करेगा!
एक बहुत ही छोटे/चर्चित वर्ग को तो कल या आज जाना ही है,
बड़े वर्ग का अपेक्षित हिस्सा ही हर हाल ही इस प्रलय में बचेगा!
हमने सुना पिछली बार सिर्फ मनु-इडा -श्रद्धा ही बचे थे प्रलय में,
तो सोचना है कि हमारे बड़े वर्ग में से अब कौन -कौन ही बचेगा !
यानि कि हर तरह कि शक्सियत मिट जाएँगी आज के दौर से तो ,
इंसानियत के नुमैंदों को कौन आगे इस कायनात पे सजदा करेगा !
दुनियावी बातें आजकल एक अज़ब शक्ल में सामने आ रही हैं अजय ,
सो लिखो/पड़ो ऐसा जो दोज़ख के बाद इन्सान का रास्ता तय करेगा!
No comments:
Post a Comment