कविता - अच्छे लोग !
अच्छे लोग,अच्छे होने के
ता-उम्र भ्रम में न रहें .
वे लम्हा-लम्हा ,
चैतन्य -सहज रहें .
कलुषता के कीचड़ में
नहीं सनें
पुष्पित जलज बनें .
ख़राब को ख़राब और
अच्छों को अच्छा कहें .
अच्छे लोग .......
समाज की गति
है बदल रही ,
एक देश /एक परिवार में
एक सा खाने वालों की मति
है बदल रही .
गिरगिटी /गिरहकटी के नए दौर में
भितरघाती हवाओं में न बहें
अच्छे लोग .........
एक और बात
जो है जरूरी -
गेरों के साथ अच्छे से अच्छा करें
लेकिन समाज- कंटकों की -
हर बात
स्वाभिमान की शर्त पर
न मानें ,न सहें
अच्छे लोग,अच्छे होने के
ता-उम्र भ्रम में न रहें .
-डॉ अजय गुप्त
6 comments:
सार्थक चेतावनी देती रचना
बिल्कुल सही बात कही आपने !
सार्थक रचना!
~सादर!!!
एक सार्थक सन्देश को संजोयें अच्छी रचना के लिए आभार !
बहुत सुन्दर सन्देश..
सार्थक संदेश देती कविता
सादर
बहुत खूब जी ...एक चेतावनी ऐसी भी :)
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