जी करता है लौट चलूँ अब वापस , जहाँ से आया था !
समझ नहीं आया कि क्या अच्छा और क्या सच्चा है !!
दुनिया भर के सारे पाप किए और किया नशा हर मैंने !
फिर भी सीधे लगने वालों से मन अब भी मेरा कच्चा है !!
दुनियावी लोगों से उकता कर भी कुछ करना था जीने को !
दुश्मन के घावों को सहलाने मैं मन मेरा अब भी बच्चा है !!
मुश्किल है अजय कि क्या करें और क्या न करें ,फिर भी !
जीने का अंदाज हमारा औरों से क्या अच्छा- क्या सच्चा है !!
1 comment:
मुश्किल है अजय कि क्या करें और क्या न करें ,फिर भी !
जीने का अंदाज हमारा औरों से क्या अच्छा- क्या सच्चा है !!
बहुत बडिया है जीनी का अपना ही अंदाज़ होना चाहिये शुभकामनायें
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