दोस्तों,
बहुत लिखा पर लगा कि हकीकत उस दौर की नहीं !
सच मैं इसलिए आज कुछ भी लिखने का मन नहीं !!
आरज़ू , फ़साने या फिर हों उनके किए गए चंद वादे !
नहीं कुछ भी निभाया ,आज कुछ लिखने का मन नहीं !!
कुछ उनके और कुछ अपने हालत ठीक नहीं हैं अब तो !
इनायत से नाराज हैं ,आज कुछ लिखने का मन नहीं !!
शायद होगी बहुत देर जब फिर से कलम उठे हमारी !
आज मगर हालात ऐसे की कुछ लिखने का मन नहीं !!
1 comment:
'' कुछ लिखने का मन नहीं ''
........... से आगे बढ़ कर सोचिये मान्यवर , तब बात बने |
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