कोई क़म नहीं सितारे फलक पर लेकिन ,
अंधेरों में रास्ता दिखाएँ ऐसे कम ही हैं !
हर रोज़ जमाना अपनी रफ़्तार बदलता है ,
ज़माने की रफ़्तार बदल दें ऐसे कम ही हैं !
कोई भी/कोई नहीं अपना /पराया होता है ,
एक ही नज़र से सबको देखे ऐसे कम ही हैं !
बहुत हैंबात बिगाड़ने वाले दुनिया में अजय,
बिगरे को बना दें अब लोग ऐसे कम ही हैं !!
3 comments:
दुनिया का सच्चा स्वरूप आपने दिखा दिया।
शुक्रिया।
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ये तो बहुत ही आसान पहेली है?
धरती का हर बाशिंदा महफ़ूज़ रहे, खुशहाल रहे।
उम्दा गजल , बधाई
बहुत अच्छी गज़ल है बधाई
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