Tuesday, March 9, 2010

परीक्षा का मौसम -एक ग़ज़ल

परीक्षा का मौसम -एक ग़ज़ल

परीक्षा का मौसम है , बच्चे हैं हर तरह की बेहतरीन तय्यारिओं में ,
हम बड़े मशगूलहैं अय्यारिओं मैं ,फेल हो रहे इंसानियत के पर्चे में !!

बच्चे पास हो कर पोधों की मानिंद रोपे जायेंगे संसार की क्यारिओं में
चिंता मत कर निश्चित अब्वल हम भी आयेंगे हेवानियत के चर्चे में !!

जब थे बच्चे और समझ हमारी काफी कम थी दीन-दुनियां में अजय ,
चोकलेट के हिसाब से निकाल, दुअन्नी भी देते थे आदमियत के खर्चे में !!

कौन फेल हुआ और कौन पास जीवन के इस लम्बे झमेले में ए दोस्त ,
तमाम सयाना-पन तेरा हवा हो जायेगा जहन्नुम के जर्रे -जर्रे में !!!




2 comments:

संगीता पुरी said...

सच है .. बढिया रचना !!

ktheLeo (कुश शर्मा) said...

वाह! कमाल की सोच मज़ा आया पढ कर!