जो भी सवाल उठाते हैं मेरे दीवाने-पन पे ,
वो पहले बनें दीवाना , फिर उठायें सवाल !
गम इस बात का नहीं की लोग हैं बोलते ,
गम इस बात का कि बे-बात मचाते हैं बबाल!
जो एक बार छूटा - ये शरीर तो अजय ,
नापाक इरादों को नहीं बचा पायेगी कोई नाल!
तो अच्छे लोगों को और भी ख्याल रखना होगा ,
वर्ना ख़राब हो जाएगी पूरे के पूरे समाज कि चाल !
1 comment:
सुन्दर लेखन।
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