ये तेरी मौत को भी बड़ी सफाई से खुदकुशी साबित कर देंगे ,
कई सारे काले कोट वाले हाथ मैं संभिधान ले कर बैठे हुए हैं !
बैठाया ,तिलक लगाया पुए खिलाये जब लकड़ी की पाटी पर ,
जीवन मैं सिर्फ तब लगा हम कुंवर हैं - तख्ते -ताउस पे बैठे हुए हैं !
गैरों की खींच कर और ऊँची और ऊँची हमने कर लीं अपनी कुर्सियां ,
आईने ने तब बताया - कि ख्यालात हमारे किस कदर बैठे हुए हैं !
कहाँ छुपेगा ,जायेगा ,कब तलक डरावने मंजरों से बचेगा तू अजय ,
हर तरफ चाकू लेकर लाठी लेकर औ मशाल लेकर लोग बैठे हुए हैं !!
2 comments:
behatreen nazm hai.
bahut dinon ke baad kuch taza mila jisne dimag ko lalkara
satik bat kahi hai...
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