सीधी -सरल बात
कभी -२ सभी सोचते हैं की सब कुछ ऐसे ही चले कि कोई परेशानी न हो ,पर भइया ऐसा होता नहीं । सो हम अपनी किस्मत को,बीबी को , पति को ,मां-बाप को, और परिस्तिथिओं आदि -२ को दोषी मानते रहते हैं ।
क्या करें क्या न करें , समझ ही नहीं आता ।
जब भी ऐसा कुछ मन मैं आए तो एक सरल सूत्र है-
अपने को दूर से देखो और साथ ही साथ दूसरे लोगों को भी।
इन संकेतों को पड़ने कि कोशिश करो तो पाओगे कि सब के हालत एक जैसे हैं । मक्तूब ! नियति लिखी जा चुकी है । और वह ये है कि सब्र रखो सब कुछ आपके अनकूल होने वाला है.
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