Tuesday, April 17, 2012

सोने को दांव ..ग़ज़ल

जो भी पाया है , झुठलाया है
जो खोया उसे दिल लगाया है

मिटटी खरीदने के बदले मैंने
सोने को ही दांव पे लगाया है

बादशाहत जाये तो चली जाये
मुफलिसी को ही गले लगाया है

गजलों को वाह-वाह नहीं मिली
बच्चा फिर स्याही ले आया है

2 comments:

ktheLeo (कुश शर्मा) said...

"जब जब सत्य को सर नवाया है,
मनुज ने सही रास्ता अपनाया हैं!"

सुन्दर प्रयास! वाह! लगे रहो मुन्ना भाई!

Asha Joglekar said...

जो भी पाया है , झुठलाया है
जो खोया उसे दिल लगाया है

Yahee hai humaree fitarat. Jo nahee milata wahee mahatwpoorna ho jata hai. mile kee keemat nahee hotee.