Dr. Ajay की "अभिव्यक्ति"
कुछ सुनो कुछ कहो!दिल से हो तो बेहतर है!
Wednesday, April 18, 2012
बस्ती है .
दिल का बसना सरल नहीं होता
उजड़ना सरल है होता
बस्ती बसाना कोई बच्चों का खेल नहीं
ये बस्ती है बस्ते-बस्ते ही बस्ती है।
मुफ्त में हमें मौत भी रास नहीं आती
तेरा मेरी बला से सस्ता हो या महंगा
मेरे किस काम का
हस्ती की फिर क्या हस्ती है ।
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment