बड़ी से बड़ी समस्याओं का निदान हमारे बिल्कुल सामने घास के एक टुकड़े के समान विद्यमान होता है , मगर हम उसे निहायत बेकार मान कर ठुकरा देते हैं । और समाधान के लिए इधर-उधर भटकते रहते हैं । तिनके की भाषा हमें समझनी चाहिए -अमूमन स्थिर तिनका संदेश देता है कि थोड़ा इंतज़ार करें -हल स्वतः निकलेगा > पल पल उल्टा-सीधा होने वाला तिनका हमें विकल्प खोजने को प्रेरित करता है तथा स्थाई रूप से पलट गया तिनका हमें वापसी का संकेत देता है-जितना बचा है उसे बचाओ और अच्छे समय का इंतज़ार करो.
1 comment:
सही बात कही है अजय जी आपने ..
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