अद्रश्य होना,पलायन करना, टाल-मटोल करना और फिर अपने मंतव्य को न जानने की शिकायत करना ठीक नहीं। जितना जिएँ लक्ष्य जरूरी है। डूबता - उतराता वही है जो भंवर मैं फंसा है। एक ताज़ा कलाम देखिये:
पास सारा कुछ है ओ आदम तेरे पास भी, खुदा मैं जो तलाशता है !
वर्ना दुनिया के मेले में खुद का अकेलापन तुझे क्यूँ इतना काटता है !!
1 comment:
सुंदर विचार।
आभार।
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जिसपर हमको है नाज़, उसका जन्मदिवस है आज।
कोमा में पडी़ बलात्कार पीडिता को चाहिए मृत्यु का अधिकार।
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