Saturday, October 31, 2009

मशीन से मोथरी भावनाएं -एक विचार

द्रश्य -!
एअरपोर्ट , सारे लोग इतने जल्दी में हैं की उनको पता नहीं कि उनकी पूरी प्रोग्राममिंग एक सिपाही के पास है जो उन्हें २-३ घंटे मामूली रोक सकता है , आप अगर गैर -सरकारी हैं तो खींसे निपोरते हुए, इधर -उधर देखते , उसकी खुशामत भी करते हुए , बीबी bachon से ऑंखें चुराते हुए दस बार थैंक्स कहना पड़ता है -----जबकि घर से निकलते समय आपने बाप के पैर इस धौंस में नही छुए कि समझते नहीं एक-एक मिनट important है ।

द्रश्य-!!
lounge में इतने सीरियस कि लगता है parmaroon बोम्ब टेक्नोलॉजी ले कर बैठे हैं । खुले मन से नहीं बल्कि चोर निगाहों से इधर-उधर ताकते हैं -वाह रि शख्सियत । ये पता चलते ही कि आसपास किसीको आप कि
जरूरत है ,अखबार में इतने मशगूल हो जाते हैं जैसे डीएनए पर रिसर्च कर रहे हों ।

1 comment:

श्यामल सुमन said...

दृश्य दिखाया आपने सच के बहुत करीब।
प्रायः देखे यह सुमन दुनिया बड़ी अजीब।।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com