Monday, July 26, 2010

दुल्हन की डोली-सपने:ग़ज़ल

कुछ बातें तो सितारों में भी रही ही होंगी ,

वो बे-वजह ही नहीं सारी रात चमकते हैं !

कुछ बात तो नजारों भी रही रही ही होगी ,

जो कनखियों से प्रियतम को देखते हैं !

कुछ बातें तो कतारों में भी रही ही होंगी ,

जो हम उनके पीछे धीरे से चलते रहते हैं !

कुछ बात तो कहारों में भी होगी ही अजय ,

दुल्हन की डोली-सपने उनके कन्धों रहते हैं

Friday, July 23, 2010

कोई तो महसूस करे ! ग़ज़ल

कोई तो महसूस करे की बारिश क्यों बरसती है ,
ये हमारे लिये नहीं चिड़ियों के लिए बरसती है !

हमने -आपने बरसात न आने के इंतजाम किये ,
फिर भी बारिश गूंगे और प्यासों के लिए बरसती है !

इतने तल्ख़ भी न बनें कि हमें आंसू भी न आयें ,
आँखें भी ख़ुशी -गम के लिए आंसू को तरसती हैं !

अजय कई लोग सिर्फ इसलिए जुदा हुए दुनियां से ,
कि कुछ बे-मन थालियाँ उन्हें रोज़ खाना परस्ती हैं !

Saturday, July 17, 2010

ग़ज़ल :छोटे -छोटे सुख तलाशने होंगे -अवश्य देखें

छोटे -छोटे सुख तलाशने होंगे हमें अब ,

क्योंकि ये नैनो टेक्नोलोजी का जमाना है !

कोई देखे तो कम से कम मुस्करा देना ,

मोनालिसा की हंसी तो एक फ़साना है !

मुस्कराहट दर्द की तासीर बदल देती है ,

ये पानी से बर्फ को धीरे से पिघलाना है !

अजय हर कोई आज अकेला है चमन में,

फिर भी जिन्दगी का फलसफा सुहाना है !

Saturday, July 10, 2010

ग़ज़ल :पहले बनें दीवाना

जो भी सवाल उठाते हैं मेरे दीवाने-पन पे ,
वो पहले बनें दीवाना , फिर उठायें सवाल !

गम इस बात का नहीं की लोग हैं बोलते ,
गम इस बात का कि बे-बात मचाते हैं बबाल!

जो एक बार छूटा - ये शरीर तो अजय ,
नापाक इरादों को नहीं बचा पायेगी कोई नाल!

तो अच्छे लोगों को और भी ख्याल रखना होगा ,
वर्ना ख़राब हो जाएगी पूरे के पूरे समाज कि चाल !

Thursday, July 8, 2010

अजनबी

अजनबी होना कई बार अच्छा होता है ,

जब हम एक-दूसरे को अच्छे से जान लेते हैं -

मगर मजबूरिओं में मन मार लेते हैं।

दोस्तों दुबारा कब मिलेगी जिन्दगी -

ये पक्का नहीं

पर कुछ तो होने भर के लिए मान लेते हैं ।

जब तक आप में चाह है , उतनी ही है जिन्दगी

वर्ना जीवन रह जाएगी किसी और की बंदगी.

Tuesday, July 6, 2010

अमूल दूध बनाम गाय का दूध !

अमूल दूध बनाम गाय का दूध !

माँ जब बार - बार पड़ी पीछे-
कि बच्चे दूध पी ले ,
तो बच्चे ने रूठते हुए कुछ प्रश्न पूछे
माँ किसका दूध है !
माँ ने कहा गाय का
तो बच्चा झट से बोला -
अपनी गलती कर कबूल
ये है दूध-अमूल ।

कुश ने मुझे बताया कि
घर में प्रति लीटर पड़ता है रुपये अठारह
तो बीच का नफा निकल कर कैसे पड़े बत्तीस से कम,
दूध मुह्ने बच्चों का निकल जाये चाहें दम !

बीफ के शोकीन पैदा हो रहे हैं हमारे देश में ,
और बच्चे दम तोड़ रहे हैं गोपाल के देश में!

इतना तो कम से कम कर सकते हैं हम
खाने के सामान को पोल्य्थीन में भर कर
उसकी गाँठ न बांधें
और सिर्फ और सिर्फ अपने बच्चों का
भविष्य बचा लें !!!!

क्योंकि पोलीथीन खा कर गाय
घुट -घुट के प्राण छोडती हें
जितनी तकलीफ कसाई
के छुरे से
उन्हें नहीं पहुँचती है !


उससे अधिक हमारी वजह से झेलती है!!

Saturday, July 3, 2010

इससे पहले की बहुत देर हो जाये :अभिव्यक्ति


लश्कर के हमले
अमरनाथ यात्रिओं पे लाठीचार्ज !
जिन्हें मुसलमान भी मानते हैं बाबा - बर्फानी
नहीं कर सकते आदि-अनादि देव पर हमला
क्योंकि वह प्रथम पुरुष थे -
तब नहीं था फिक्रापरस्त लोगों का अमला-जुमला
सो चमक रही है सत्ता-परस्त लोगों की तरफ सीधी टोर्च !!
अमरनाथ यात्रिओं पे लाठीचार्ज !

नक्सली हमले
पुलिस मैं खौफ ,
पर जंगले मैं पल रहा हर बच्चा बे-खौफ !

जरा मतलब निकालो ,
कम से कम सामर्थ्यवानों
मेरे देश को अब तो बचालो !

बहकने का हक सभी को है
यतीम को भी और मद मैं चूर अधिकारिओं को
गोवा - मंत्री को और राठोरों को भी
पर दोनों के प्रति है इतना क्यों भेदभाव ,
अकेले जी डी पी से नहीं चलेगी इस महान सांस्कृतिक
देश की नाव !

जीना तो पड़ेगा ही !:कविता

जीना तो पड़ेगा ही !

उदासी और ख़ुशी की -
एक ही है सबा
दोनों को दिल के बात कहने की मिलती है सजा
मगर जीना तो पड़ेगा ही .......


सो हंसी/ उदासी,
उदासी /हसी एक ही चीज हैं ,
दोनों का एक ही बीज है!
मगर जीना तो पड़ेगा ही .......

दुनियां हमेशा सच्चे दिल वालों को सजा देती है
चाहें -
हों सतयुग में राजा हरिश्चंद्र
रोहिताश्व के शव -दहन के लिए
पत्नी को आधी साड़ी देनी पड़ी
भीष्म चुप थे पाप का अन्न खा खा कर
मुरलीधर आये जब सतीत्व पे विपदा पड़ी
कन्हैया को दर -दर की ठोकर खानी पड़ी-!
मगर जीना तो पड़ेगा ही .......

हम और आप क्या हैं दोस्तों
साक्षात् शिव को गरल की प्यास
बुझानी पड़ी

मगर जीना तो पड़ेगा ही .......

सो बाहर के लिए दिल को पत्थर बनाना होगा
अपनों को किसी भी तरह बचाना होगा !
क्योंकि -
पत्थर मैं भी जीवन स्पंदित होता है
ये बात सच है !!!!!!!!!
मगर जीना तो पड़ेगा ही .......

समझ , समझने वाले
अच्छों को जिन्दा रहना ही चाहिए !!!!!!!!!!!!!!!!
मगर जीना तो पड़ेगा ही .......