Saturday, July 10, 2010

ग़ज़ल :पहले बनें दीवाना

जो भी सवाल उठाते हैं मेरे दीवाने-पन पे ,
वो पहले बनें दीवाना , फिर उठायें सवाल !

गम इस बात का नहीं की लोग हैं बोलते ,
गम इस बात का कि बे-बात मचाते हैं बबाल!

जो एक बार छूटा - ये शरीर तो अजय ,
नापाक इरादों को नहीं बचा पायेगी कोई नाल!

तो अच्छे लोगों को और भी ख्याल रखना होगा ,
वर्ना ख़राब हो जाएगी पूरे के पूरे समाज कि चाल !

1 comment:

आचार्य उदय said...

सुन्दर लेखन।