Friday, September 17, 2010

ग़ज़ल : उलट-बांसी

ये अजीब शहर है हमेशा धोखा ही देगा तुम्हें

अजनबी सुनी बातों का हिसाब रखना


नाईट मैच की रौशनी की तरह यहाँ

दिन में रात के लिबास में ही रहना




















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