Dr. Ajay की "अभिव्यक्ति"
कुछ सुनो कुछ कहो!दिल से हो तो बेहतर है!
Friday, September 17, 2010
ग़ज़ल : उलट-बांसी
ये
अजीब
शहर
है
हमेशा
धोखा
ही
देगा
तुम्हें
अजनबी
सुनी
बातों
का
हिसाब
न
रखना
नाईट
मैच
की
रौशनी
की
तरह
यहाँ
दिन
में
रात
के
लिबास
में
ही
रहना
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