Tuesday, October 13, 2009

एक नज़्म :शिद्दत वालों के लिए

ये लोग फिर किसी बहाने तेरे सपनों मैं आयेंगे !

खुशनसीब है तू वे बे-वजह तुझे बुलाने आयेंगे !!

जब थी तम्मना तो कभी दूर-दूर तलक न मिले !

अब ये गुजारिश कि सहेजे को मिटानें आयेंगे !!

कोई और अपना सफ़र तय कर ले तू बुलाने वाले !

थकन इतनी है कि अब न,न चाहते हुये आ पायेंगे !!

बड़ी मुश्किल है अजय यों ज़माने की खबर रखना !

कई जन्मों के पुराने बे निभाए फ़साने नज़र आयेंगे !!

1 comment:

Udan Tashtari said...

बढ़िया है जनाब!!