Saturday, August 14, 2010

पन्द्रह अगस्त दो हज़ार दस!



आज़ादी मिल गई हमको,
चलो सडको पे थूकें!

आज़ादी मिल गई हमको,
चलो ट्रैनों को फ़ूकें!

आज़ादी मिल गई हमको,
चलो लोगों को कुचलें!

आज़ादी मिल गई हमको,
चलो पत्थर उछालें!

आज़ादी मिल गई हमको,
चलो घर को जला लें!

आज़ादी मिल गई हमको,
चलो घोटले कर लें!

आज़ादी मिल गई हमको,
तिज़ोरी नोटों से भर लें!

आज़ादी मिल गई हमको,
चलो पेडों को काटें!

आज़ादी मिल गई हमको,
चलो भूखों को डांटें!


आज़ादी मिल गई हमको,
चलो सूबों को बांटें!

गर भर गया दिल जश्न से तो चलो,
इतना कर लो,
शहीदों की याद में सजदा कर लो!

न कभी वो करना जो,
आज़ादी को शर्मसार करे,
खुद का सर झुके और
शहीदों की कुर्बानी को बेकार करे!