Saturday, February 19, 2011

ग़ज़ल : हमारा नाम भी आया होगा !!

रास्ता मेरे घर का लुटेरों को उन्होंने ही बताया होगा

जिन्हें हमने कभी घर प्रेम से खाने पे बुलाया होगा!

रास्ता सर्द था और रहबर ने पासा फेंका ही आखिर

फिर भी पार हमें किसी रहजन ने कराया ही होगा !

इसमें ज्यादा तफ्तीश की जरूरत ही नहीं है अजय

भगवन का स्वर्ण !मुकुट पुजारी ने चुराया ही होगा!

यूँ तो भुला न दिया होगा उसके पहले प्यार ने मुझे

कभी तो दबी जुबान पर हमारा नाम आया ही होगा !

4 comments:

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

अच्छी गज़ल ..
यूँ तो भुला न दिया होगा उसके पहले प्यार ने मुझे

कभी तो दबी जुबान पर हमारा नाम आया ही होगा

यही उम्मीद काफी है ..

ktheLeo (कुश शर्मा) said...

अच्छा है, विचार और विन्यास दोनों!बधाई !

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

अजय जी, बहुत प्‍यारी गजल कही है। और हां, आपकी प्रोफाइल में दी गयी आत्‍मस्‍वीकृति मन को भा गयी।

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सीधे सच्‍चे लोग सदा दिल में उतर जाते हैं।
बदल दीजिए प्रेम की परिभाषा...

S.N SHUKLA said...

बहुत सुन्दर प्रस्तुति , सार्थक, आभार.


कृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारने का कष्ट करें.