Saturday, April 7, 2012

कहाँ खो गए वो पाखी

कहाँ खो गए वो पाखी !!

तुतलाकर बच्चे ने पापा से पुछा:
पापा , पापा -अपने बचपन के विषय में
कुछ बताइए
पापा ने कहा
बेटा पहले आप बताइये
घोंसला किसे कहते हैं
नहीं पता
बेटा बोला , आप बताएं
पापा बोले
बेटा- घोंसला ,पीली गौरिया नामक चिड़िया बनाती है
उसमें अपने बच्चों को प्यार से सुलाती है /दुलराती है

पर पापा अब गोरिय्या नहीं दिखती है
आखिर अब वो कहाँ रहती है
पापा के माथे पर शिकन आई
धीरे से बोले
अरे मेरे भाई
जैसे इस देश से ईमानदारी तिरोहित हो गयी है ,
हमारे बचपन की गौरिया भी कहीं खो गयी है !
गौरिया क्या
बरसात में निकलने वाली राम जी की मखमली गुड़िया
भी प्रकृति का नेतृत्व नहीं करती
हमारे देश के नेतृत्व जैसी हो गई है
जुगनू की चमक सी जनपथ में खो गई है !!
अब कुछ दिन में आदमी भी नहीं मिलेगा
धड़ के ऊपर सर ,दो हाथ दो पैर वाली कोई
अजीब सी चीज़ घूमती नज़र आएगी
मेरी ये पञ्च-तत्व दुनियां
जिन्दा शमशान हो जाएगी !!!!!!
जिन्दा शमशान हो जाएगी !!!!!!!!!
तुम इसे बचाना मेरे बच्चे
हम तो इसे सहेज कर नहीं रख सके
हीरे जवाहरात के बदले
पाए कुछ टके!

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