Tuesday, September 1, 2009

कहाँ जायेगा फ़रिश्ता

ये तेरी मौत को भी बड़ी सफाई से खुदकुशी साबित कर देंगे ,
कई सारे काले कोट वाले हाथ मैं संभिधान ले कर बैठे हुए हैं !

बैठाया ,तिलक लगाया पुए खिलाये जब लकड़ी की पाटी पर ,
जीवन मैं सिर्फ तब लगा हम कुंवर हैं - तख्ते -ताउस पे बैठे हुए हैं !

गैरों की खींच कर और ऊँची और ऊँची हमने कर लीं अपनी कुर्सियां ,
आईने ने तब बताया - कि ख्यालात हमारे किस कदर बैठे हुए हैं !

कहाँ छुपेगा ,जायेगा ,कब तलक डरावने मंजरों से बचेगा तू अजय ,
हर तरफ चाकू लेकर लाठी लेकर औ मशाल लेकर लोग बैठे हुए हैं !!

2 comments:

Dr. Ajay K Gupta said...

behatreen nazm hai.
bahut dinon ke baad kuch taza mila jisne dimag ko lalkara

डाॅ रामजी गिरि said...

satik bat kahi hai...