ग़ज़ल
जो लोग हैं पानी में पहले से ही भीगे हुए,
उन्हें मौसमी बरसात से नहीं डरना चाहिए !
अगर हम हो जाएँ बिलकुल ही मुफ्त तो ,
तो आपको क्यों खरीदा जाना चाहिए !
जो ज्यादाद कर दी गयी ज़माने के नाम ,
उस पर क्यों कर आयकर लगाना चाहिए !
संस्थाएं जो हुक्मरानों का भरम रखेंगी ,
उन पर कड़ा प्रतिबन्ध लगाना चाहिए !
2 comments:
बढ़िया ग़ज़ल
prayaas saraahneey है
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