Monday, December 31, 2012

नव वर्ष गीत .....

प्रत्येक पल 
जीएं 
नव-वर्ष 
सच मायने तभी होगा
उत्कर्ष
*
क्रंदन में अभिवंदन
वंदन मैं हो
चन्दन
जीवन-संघर्ष बना रहे
फिर भी रहे
हर्ष
*
गीत नए
मीत भी नए
नित नए आयाम
संगीत नए
स्वीकारें
सहर्ष
*
जीयें छोटे -छोटे
सुखद पल
मन हो निर्मल
अच्छे लोग अच्छी
बातें फैलाएं
एक नयी कड़ी बनायें
तभी बनेगी बात
मिटेगी
घोर अंधकार की रात
अंतर्मन से करें
ये
विचार-विमर्ष
-डॉ अजय गुप्त

1 comment:

Hemant Varma said...

A very nice poem giving a beautiful message for the New Year!
Let us come out of our shells and spread the warmth of empathy and knowledge.