Tuesday, June 29, 2010

ग़ज़ल: फूल से फूल की बात करो

ग़ज़ल
फूल से फूल की बात करो , और खार से खार की ,
सुबह अगर ख़राब करनी हो तो बाँचो अखबार की !
कोई भी किसी को तस्सली देता नहीं अब लगता है ,
छोड़ो अजय किससे बातें करें अब सच्चे प्यार की !
जल्द ही अब शख्स सिर्फ अपना भी न रह पायेगा ,
सपना हो जाएँगी बातें अब एक संयुक्त परिवार की!
संभलो /संभालो ऐ दुनियां को जानने वालो दोस्तों ,
वरना कहानियां ही रह जायेंगी बातें इस संसार की !

2 comments:

Udan Tashtari said...

बहुत बेहतरीन!

ktheLeo (कुश शर्मा) said...

सटीक शब्दों में सुन्दर भाव!वाह!