कोई तो महसूस करे की बारिश क्यों बरसती है ,
ये हमारे लिये नहीं चिड़ियों के लिए बरसती है !
हमने -आपने बरसात न आने के इंतजाम किये ,
फिर भी बारिश गूंगे और प्यासों के लिए बरसती है !
इतने तल्ख़ भी न बनें कि हमें आंसू भी न आयें ,
आँखें भी ख़ुशी -गम के लिए आंसू को तरसती हैं !
अजय कई लोग सिर्फ इसलिए जुदा हुए दुनियां से ,
कि कुछ बे-मन थालियाँ उन्हें रोज़ खाना परस्ती हैं !
5 comments:
अजय कई लोग सिर्फ इसलिए जुदा हुए दुनियां से ,
कि कुछ बे-मन थालियाँ उन्हें रोज़ खाना परस्ती हैं
बडी गहरी बात कह दी………………बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
vichar ka vichar. abhivyakti na sirf rachna ko sampurta deti hai balki marham ka kam karti hai.
saadhuvad!!
सुन्दर भाव पूर्ण रचना!
मेरा कहना है,
"उनके किरदार में भी कुछ कमी होगी,
कैसे लोग हैं जिन्हे घर से ज़फ़ाऎ मिलतीं हैं"
July 23, 2010 5:36 AM
गरज बरस प्यासी धरती पर फिर पानी दे मौला !
चिडियोंको दाने, बच्चोंको गुड धानी दे मौला !
----- की याद दिला दी आपने !
dil ki baat lavon par laye
Sari umr bahut pachtaye
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