दोस्तों जिन्दगी की अदा अजीब होती है ,
वो सबसे मंहंगी और सस्ती चीज होती है !
कई चारगार आये इसे समझने के लिए ,
ये पहेली किसी पहलू से हल नहीं होती है !
दर्द जैसा आपका है सबको भी होता ही है ,
ये तो सोने के बदले बालू की खरीद होती है !
'अजय' क्या करें और क्या न करें को छोड़ो ,
दर्द की तासीर जिन्दगी से बड़ी नहीं होती है !
1 comment:
अंतिम पंक्ति ने सब कुछ बयां कर दिया ..बेहतरीन
विकास पाण्डेय
www.vicharokadarpan.blogspot.com
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